ज़िन्दगी इस कदर बदल जाएगी, कभी ऐसा मैने सोचा ना था ... तुम्हारी परछाई ना जाने कब, मेरी अपनी बन गई मुझे पता भी ना चला ... और अब तुम्हारी इस परछाई की छाव में इतनी दूर आ गई हू , कि तुम्हारे बिना ये ज़िन्दगी कैसी हुआ करती थी , ये याद भी नहीं है मुझे ... तुम्हारे पास ना होते हुए भी , तुम्हारा एहसास ही मेरा हमसफ़र बन जाएगा , कभी ऐसा मैने सोचा ना था ... और अब वक़्त के साथ , ये एहसास इतना गेहेरा गया है, कि मेरा हर ज़िक्र तुम्हारे ज़िक्र, के बिना अधूरा सा है ... ज़िन्दगी इस कदर बदल जाएगी, कभी ऐसा मैने सोचा ना था ...