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Showing posts from 2016

माँ

माँ तुझे कैसे कहुँ  शुक्रिया, शुक्रिया  का मतलब जहाँ खत्म होता है , वहाँ से तो तेरा-मेरा रिश्ता शुरू होता है ... तूने हाथ थाम  के चलना सिखाया , और जो हाथ  तूने थामा , उसकी पकड़ इतनी मज़बूत थी , कि उसने हर ग़लत राह से मुझे बचाया  .... माँ तुझे कैसे कहुँ शुक्रिया, पूरे जहां में एक तू ही तो है , जो मुझे पूरे दिल और जान से केवल इसलिए प्यार करती है क्योंकि मै - मै हुँ ना की क्योंकि ,मै कैसी इंसान हुँ  ... माँ तुझे कैसे कहुँ शुक्रिया , तू ही तो है जिसने मेरे हर सपने को अपना बना लिया  , तू ही तो है जिसने मेरी ज़िंदगी को अपनी बना लिया  .... माँ तुझे कैसे कहुँ शुक्रिया , शुक्रिया का मतलब जहाँ खत्म होता है , वहाँ से तो तेरा-मेरा रिश्ता शुरू होता है ... 

हिच्कि

किरदार तो वही है , पर कहानी कुछ नई है  ... जज़्बात तो वही है , पर माहोल कुछ नऐ  है  ... मन का मन से रिश्ता तो वही सुहाना है , बस एक छोटी सी हिच्कि  जो ये आई है , विश्वास के पानी से इसको तो  घुल ही जाना है , दिल से दिल ने ख़ामोशी में वादा यही  कीया है.... हिच्कि का वैसे भी ये किस्सा पुराना है , बीते पल की याद के आगे , उसको तो गुम हो ही जाना है  ...