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Showing posts from August, 2014

आज़ादी???

आज सुबह जब घर से मै निकली , तो रास्ते में कई बार मुझे वो मिली … कभी मेरे घर के सामने वाली झोपड़ी में , जानलेवा बीमारी से झुझती देह में … तो कभी मेरे दफ्तर के बाहर , घंटों मज़दूरी करती चंद थकी उम्मीदों में .... कभी सड़कों के सिग्नलों पर भीख मांगती , भूखी - सहमी उन आँखों में … तो कभी रेलवे स्टेशनों के प्लेटफार्म पर , सर्दी में ठिठुरती हुई कई मज़बूरियों में   .... कभी बज़ार की चाय की दुकान पर , काम करने वाले छोटू के सूने भविष्य में .... तो कभी बाजू में टेलर की दुकान पर , काम करते सलीम चच्चा के बूढ़े कांपते हाथों में … कभी मेरे गाँव के किसान की आत्महत्या का ,   मातम मानती उसके परिवार की आँसू भरी आँखों में .... तो कभी बाल विवाह की जज़ीरों में फ़सी , मेरे उसी गाँव की बालिका वधु के बिखरे हुए अरमानो में   .... पूँछने पर अपना नाम तो उसने मुझे आज़ादी बताया , पर ना जाने क्यों पिंजरे में वो मुझे कैद मिली ....

प्रतिबिम्ब

ज़िद्द का जो तुम्हारी आँखों से पर्दा हटता, तो तुम समझ पाते मै क्या सोचती हुँ … अभिमान  का जो शोर तुम्हारे कानो में कम होता , तो तुम सुन पाते मेरे सन्नाटे को भी … दिल के जो दरवाजे खुले रखते , तो तुम को छू पाते मेरे भी जज़्बात कहीं .... संकोच की जो बैसाखी तोड पाते , तो मेरे ख़्वाबों की दौड़ में , तुम भी दे पाते  साथ मेरा .... ज़िद्द का जो तुम्हारी आँखों से पर्दा हटता , तो तुम समझ पाते मै क्या सोचती हुँ  ....