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Showing posts from January, 2016

हिच्कि

किरदार तो वही है , पर कहानी कुछ नई है  ... जज़्बात तो वही है , पर माहोल कुछ नऐ  है  ... मन का मन से रिश्ता तो वही सुहाना है , बस एक छोटी सी हिच्कि  जो ये आई है , विश्वास के पानी से इसको तो  घुल ही जाना है , दिल से दिल ने ख़ामोशी में वादा यही  कीया है.... हिच्कि का वैसे भी ये किस्सा पुराना है , बीते पल की याद के आगे , उसको तो गुम हो ही जाना है  ...