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Showing posts from December, 2012

GaNtRY...:P

YEllOw BLuE   YEllOw   BLuE I sit here with a helmet on and Black Shoes which fit me loose... and they call it "THE SAFETY SHOES" Drivers and cleaners standing on the "LORRY" with their belts on, they look  so "FUNNY" asking me to check the DIP... DIP... DIP... YEllOw  BLuE   YEllOw   BLuE long hours and mundane work DIP... DIP... DIP...is what I do... YEllOw  BLuE   YEllOw   BLuE All I see around is  YEllOw  BLuE   YEllOw   BLuE All I smell around is Petrol...Diesel...Petrol...Diesel... All I do is DIP... DIP... DIP...

घरोंदे की चिड़िया

घरोंदे से बहार निकली उस चिड़िया को,  ना जाने क्यों हर कोई, बस दबोचना ही चाहता है ... वो पंख पसार के उड़ना चाहे, तो ना जाने क्यों हर कोई, उसके पंखो को बस  काटना ही चाहता है ...  वो आसमान की ऊचाइया छू कर भी, आज़ाद नहीं है , उसको ना जाने क्यों  हर कोई, बस ये जताना ही  चाहता है ...  एक माँ की ममता, एक बिटिया की  चंचलता   ... एक बहिन की मुस्कुराहट, एक  पत्नी  का प्यार ... सब कुछ भुला कर, जब सड़को पे बड़ी बेरहमी  से उसको घसीटा जाता है , उसके तन और मन के जर्जर होने के बाद,  जब उसको सब कुछ भुला देने  को कहा जाता है,  तो ना जाने क्यों, इस संसार से मेरा ये मन  उकता सा जाता है ... घरोंदे से बहार निकली उस चिड़िया को , ना जाने क्यों हर कोई बस दबोचना ही चाहता है ... 

धूप सुनहरी

छुट्टी का वो दिन और जाड़े की वो दोपहर,  मेरे घर की छत और छत पर बैठी,  मै और मेरी प्यारी सी माँ … माँ के कोमल आँचल में सिम्मट कर, बड़ी सहजता से हर दुख को भुला देती,  और आंसू कब   मुस्कराहट बन  जाते ,  पता भी ना चलता था … हालाकी आज भी  छुट्टी  का वही  दिन है,  वही जाड़े की दोपहर है … पर माँ का वो कोमल आँचल,  कही दूर सा हो गया है,  भूली बिसरी यादों में कही  खो सा गया है …