फिर उड़ चला ये मन, कागज़ और कलम की तलाश में फिर मचल उठा ये मन ... कुछ बीते पल, कुछ बीते लमहे , अपनी जुबानी गुनगुनाने को फिर मचल उठा ये मन , फिर उड़ चला ये मन ... हर दिल में जागते सपनों को समझ कर, समझाने को फिर मचल उठा ये मन , फिर उड़ चला ये मन ... एक पक्की दोस्ती, एक सच्चे प्यार को अपने दिल के शीशे से , दुनिया को दिखाने को , फिर मचल उठा ये मन , फिर उड़ चला ये मन ... कागज़ और कलम की तलाश में फिर मचल उठा ये मन ...