जैसे शब्दो मे घुल के सुर एक नया संगीत बनाते है, वैसे ही तुम्हारी आँखो की मासूमियत, मेरे जीवन के उलझे से धागो को सुलझा के कई नये पुरानी यादो की, रेशमी चादर बनती है... इसी रेशमी चादर की छाव तले, हर मुश्किल की धूप कही दूर चली जाती है, और अधूरी सी ये मेरी ज़िदगी पूरी हो जाती है...