किरदार तो वही है , पर कहानी कुछ नई है ... जज़्बात तो वही है , पर माहोल कुछ नऐ है ... मन का मन से रिश्ता तो वही सुहाना है , बस एक छोटी सी हिच्कि जो ये आई है , विश्वास के पानी से इसको तो घुल ही जाना है , दिल से दिल ने ख़ामोशी में वादा यही कीया है.... हिच्कि का वैसे भी ये किस्सा पुराना है , बीते पल की याद के आगे , उसको तो गुम हो ही जाना है ...