ना जाने क्या
समझना ,और समझाना
चाहता है
ये दिल मासूम
था,और मासूमियत
में ही जीना
चाहता है ....
मन के कोने
में दबे कई जज़्बात
उमड़ते हैं , घुमड़ते हैं
,
कभी गरजते ,तो कभी
आँसू बन बरसते
भी हैं ....
पर फिर लाचारियत में सिमट कर
मन के उसी
कोने में फिर
से वो दब
जाते हैं ....
सच्चा है ये
दिल,
सच ही कहना
और सुन्ना चाहता
है ....
मगर इतना आसान
नही है सच
का ये दामन
,
क्योकि सच सुनने
की यहाँ किसी
को आदत ही
नहीं ....
क्या सही है
और क्या गलत
इस असमंजस में फंसा ये दिल ,
बस एक बात
भली भाँती जानता है ,
कि तेरा साथ
हो तो ये
हर परिस्थ्ति
में मुस्कुराना जानता है ....
Amazing as always. :-)
ReplyDeletethank you so much...glad to know that you still follow...
ReplyDeletewaah! bohot khoob!!! :)
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