ना जाने क्यों बातों में ,
अब वो बात नहीं रही …
वक़्त के बदलाव में,
जाने कब लोग भी बदल गए ,
इस बात की भनक भी ना लग पाई ,
और बातों की रेलगाड़ी ,
यादों के स्टेशन तक जा पहुँची ....
और अब जब दिल ने मचल कर ,
इस रेलगाड़ी की रफ़्तार थामने को,
इसकी चैन जो खींची है ,
तो ना जाने क्यों बातों में ,
अब वो बात ही नहीं रही …
अब वो बात नहीं रही …
वक़्त के बदलाव में,
जाने कब लोग भी बदल गए ,
इस बात की भनक भी ना लग पाई ,
और बातों की रेलगाड़ी ,
यादों के स्टेशन तक जा पहुँची ....
और अब जब दिल ने मचल कर ,
इस रेलगाड़ी की रफ़्तार थामने को,
इसकी चैन जो खींची है ,
तो ना जाने क्यों बातों में ,
अब वो बात ही नहीं रही …
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